भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान यानी एफटीआयआय अध्यक्ष ने देश के भीतर और विदेश में किए विभिन्न दौरे पर हुए खर्च की जानकारी पता न होने का अजीबोगरीब दावा आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दिए हुए एक आरटीआई के अर्जी पर एफटीआयआय संस्थान ने किया हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने दिनांक 26 अगस्त 2015 को एफटीआयआय से जानकारी मांगी थी कि देश के भीतर और विदेश में एफटीआयआय के खर्च पर एफटीआयआय अध्यक्ष ने गत 15 वर्षो में किए हुए विभिन्न दौरे की जानकारी कुल खर्च सहित दी जाए। एफटीआयआय के प्रशासकीय अधिकारी एस के डेकटे ने दिनांक 29 अगस्त 2015 को अनिल गलगली को बताया कि उक्त जानकारी 3 सप्ताह में उपलब्ध कराई जाएगी। इन दौरे को मंजूरी देनेवाले सक्षम प्राधिकारी की जानकारी मांगने पर अनिल गलगली को बताया गया था कि एफटीआयआय अध्यक्ष के ऑफिसियल दौरे को मंजूरी देने का अधिकार निदेशक को हैं वही विदेश में एफटीआयआय अध्यक्ष के ऑफिसियल दौरे को मंजूरी सूचना और प्रसारण मंत्रालय देता हैं।
29 दिन के बाद एफटीआयआय ने दौरे पर हुए खर्च की जानकारी देने के बजाय दिनांक 26 अक्टूबर 2015 को एफटीआयआय के मुख्य लेखा अधिकारी यू ए ढेकने ने अनिल गलगली को बताया कि एफटीआयआय का बी एंड ए विभाग यह सिर्फ संस्थान के विभिन्न सेल और विभागाद्वारा पेश किए हुए बिल की रकम को अदा करने से संबंधित हैं। किसी भी फाइल और रेकॉर्ड के अंतर्गत बिल मंजूर करने का व्यवहार करती नही हैं। खर्च को मंजूरी यह संबंधित विभाग की फाइल में उपलब्ध हैं। डेकटे ने आगे बताया कि सरकारी नियमों के अनुसार वार्षिक अकाउंट तयार किया जाता हैं। एफटीआयआय संस्थान व्यक्तिगत छात्र, स्टाफ और सप्लायर का अकाउंट मेन्टेन नही करती हैं। इसी लिए एफटीआयआय अध्यक्ष के दौरे के खर्च की जानकारी बी एंड ए विभाग के पास वर्गीकृत फॉर्मेट में उपलब्ध नही हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली का तर्क है कि इस तरह की जानकारी आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 4(1) अन्वये एफटीआयआय संस्थान के पास उपलब्ध होना कानून से अनिवार्य हैं। पहले जानकारी 3 सप्ताह में देने वाला पत्र भेजनेवाली एफटीआयआय अब जानकारी उपलब्ध न होने कादावा कर बेमतलब झूठ बोलने का आरोप अनिल गलगली ने किया हैं।अनिल गलगली ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय को पत्र भेजकर एफटीआयआय अध्यक्ष के सभी दौरे की जानकारी सार्वजनिक करने की मांग की हैं।
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